कुछ प्रश्न सनातन रहते हैं। इस बार फिर दिल्ली में पटाखों के लिए लाईसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो सोचा कि क्यों न पिछले प्रश्न फिर से सामने रखे जाएं, आप इन पर गंभीरता से विचार करें। फिर न कहना देर हो गई।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
एकदम सही प्रशन उठायें हैं लेकिन काश हम सब समझ पाते. प्रदूषण एक बड़ी समस्या है.
ReplyDeleteसोचनीय और विचारणीय मुद्दा - धन्यवाद्
ReplyDeletedesh videsh ki badi samasya !
ReplyDeleteसही कहा आपने पटाखों को खत्म करने की बात कहते है लेकिन दूसरी ओर उससे कमाने के लिये तरीके भी पैदा करते है...ताकि उन प्रचारों से पैसा कमा सकें
ReplyDeleteलोग अपने आप में और अपने स्वार्थों में लिप्त होकर इतने पागल हो गए है कि उनको कुछ भी दिखाई नहीं देता. ऐसे लोग सिर्फ कानून के डंडे की भाषा ही समझ सकते है, लेकिन कानून को लागू करने वालों को ध्वनि प्रदुषण से क्या लेना-देना वे तो स्वयं ही अपराध प्रदुषण को बढ़ावा दे रहे है! लेखक :--डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश
ReplyDeleteसम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में 4366 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
इस नए ब्लॉग के साथ आपका हिंदी चिट्ठाजगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteसिर्फ दिल्ली ही नहीं मेरे ख्याल से भारत में सभी जगहों पर लाईसेंस जारी होने चाहिए
ReplyDeleteक्यू कि प्रदुषण हमारे देश कि एक बहुत बड़ी समस्या है !
भारतीय सोच में विसंगतियां का होना बहुत बडी समस्या है। हमारे धार्मिक आचरण कई तरह के प्रदुषणों को जन्म देने वाले होते हैं। धार्मिक शृद्धा वैग्यानिक सोच को परास्त कर देती है। हम जरूरत से ज्यादा परंपरावादी हैं। इन आदि धारणाओं को बदल पाना अत्यंत दुश्कर है।
ReplyDelete