Friday, July 16, 2010

ये शोर आपने सुना, तो कब जागेंगे

कुछ प्रश्‍न सनातन रहते हैं। इस बार फिर दिल्‍ली में पटाखों के लिए लाईसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो सोचा कि क्‍यों न पिछले प्रश्‍न फिर से सामने रखे जाएं, आप इन पर गंभीरता से विचार करें। फिर न कहना देर हो गई।



9 comments:

  1. एकदम सही प्रशन उठायें हैं लेकिन काश हम सब समझ पाते. प्रदूषण एक बड़ी समस्या है.

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  2. सोचनीय और विचारणीय मुद्दा - धन्यवाद्

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  3. desh videsh ki badi samasya !

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  4. सही कहा आपने पटाखों को खत्म करने की बात कहते है लेकिन दूसरी ओर उससे कमाने के लिये तरीके भी पैदा करते है...ताकि उन प्रचारों से पैसा कमा सकें

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  5. लोग अपने आप में और अपने स्वार्थों में लिप्त होकर इतने पागल हो गए है कि उनको कुछ भी दिखाई नहीं देता. ऐसे लोग सिर्फ कानून के डंडे की भाषा ही समझ सकते है, लेकिन कानून को लागू करने वालों को ध्वनि प्रदुषण से क्या लेना-देना वे तो स्वयं ही अपराध प्रदुषण को बढ़ावा दे रहे है! लेखक :--डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश
    सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
    इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में 4366 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  7. इस नए ब्‍लॉग के साथ आपका हिंदी चिट्ठाजगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  8. सिर्फ दिल्ली ही नहीं मेरे ख्याल से भारत में सभी जगहों पर लाईसेंस जारी होने चाहिए
    क्यू कि प्रदुषण हमारे देश कि एक बहुत बड़ी समस्या है !

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  9. भारतीय सोच में विसंगतियां का होना बहुत बडी समस्या है। हमारे धार्मिक आचरण कई तरह के प्रदुषणों को जन्म देने वाले होते हैं। धार्मिक शृद्धा वैग्यानिक सोच को परास्त कर देती है। हम जरूरत से ज्यादा परंपरावादी हैं। इन आदि धारणाओं को बदल पाना अत्यंत दुश्कर है।

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आपकी राय का स्‍वागत है, धन्‍यवाद